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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।

अथवा
गोदान उपन्यास के लेखन के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

जीवन को उद्वेलित करने वाली विविध समस्याओं का चित्रण करना प्रेमचन्द का मुख्य उद्देश्य था। जीवन के कुछ अनुभवों से प्रेमचन्द इस परिणाम पर पहुँचते हैं कि सामन्त एवं पूँजीवादी दोनों प्रकार के शोषण से मुक्ति मिलने पर ही भारतीय जनता का उद्धार हो सकता है इसलिए 'गोदान' में उन्होंने एकसाथ सामन्ती और पूँजीवादी शोषण की प्रतारणाओं का चित्रण किया है प्रतारणाओं का अन्त होने पर ही समानता के आधार पर जो वर्ग-हीन समाज स्थापित होगा उसमें ही होरी का स्वप्न साकार होगा और सभी सुखी होगे 'गोदान' में युग-संस्कृति का एक समग्र और समवेत चित्र उपस्थत हुआ है। सन् 1935 में राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार श्रमिकों और कृषकों की संगठित शक्ति को मान्यता प्रदान की। देश में श्रमिक और कृषक आन्दोलन के अंग होते हुए पृथक स्वतन्त्र और संगठित अस्तित्व बन गये आस्तित्व के प्रभाव में वर्ग-वैषम्य को समाप्त कर वर्ग-हीन समाज की स्थापना की चेतना स्पष्ट हो चली थी। भविष्य श्रमिक वर्ग की संगठित शक्ति के हाथ में होगा। सन् 1936 में प्रेमचन्द ने प्रगतिशील आन्दोलन की अगुआई की उनकी इसी पृष्ठभूमि में 'गोदान' की रचना हुई। इसमें उन्होंने सन्देश दिया किया हमारा भविष्य उज्जवल है। होरी का युग समाप्त होगा और गोबर का युग आयेगा। गोदान में प्रेमचन्द अपने सम्पूर्ण पूर्वाग्रहों का मोह त्याग कर तटस्थ कलाकार के रूप उपस्थित है। उन्होंने 'गोदान' में आदर्श का मोह छोड़ दिया और समाज का यथार्थ रूप सामने रखा। जीवन भर संघर्ष करते हुए होरी की दयनीय मृत्यु दिखाकर प्रेमचन्द समाज के सामने यह मूक उपस्थित कर देते हैं कि यह व्यवस्था कब तक चलेगी साथ ही गोबर के विद्रोह के रूप में यह सन्देश भी देते हैं कि यह व्यस्था अधिक दिन चलने की नहीं यह तो टूटकर ही रहेगी। विश्वम्भर मानव के शब्दों में 'गोदान' का लक्ष्य और उद्देश्य निम्न प्रकार है - "किसी प्रकार अपनी परिस्थितियों और संस्कारों से पिसता हुआ वह दरिद्र प्राण (होरी किसान) करुण मृत्यु प्राप्त करता है। जिस प्रकार सभी का पेट भरता हुआ वह स्वयं अपने जीवन की किसी सामान्य इच्छा को पूर्ण करने में असमर्थ रहता है यह सब कुछ दिखाना 'गोदान' का लक्ष्य हैं।' 'गोदान' भारत में अबाध चल रहे शोषण चक्र का यथार्थ रूप सामने रख देता है इसमें भारतीय जनता का दुःख दरिद्रता और पीड़ा स्पष्ट हो जाती है और साथ ही पीढ़ी और दुःख-दरिद्रता के मूल स्रोत भी सामने आ जाते हैं। पाठकों के समक्ष पतनोन्मुख रूढ़िवादी हिन्दू-समाज के चरमराते हुए ढाँचे का यथार्थ रूप सामने आ जाता है। 'गोदान' वर्ग में तीन वर्ग है। पहला कृषक वर्ग है यह वर्ग सर्वाधिक पीड़ित, शोषित और निराश है।

होरी इसका प्रतिनिधित्व करता है। दूसरा वर्ग मालती-मेहता जैसे लोगों का है। इसे मध्यम वर्ग कह सकते हैं। इस वर्ग की आर्थिक दशा अच्छी नहीं है। मेहता अपने लिए अचकन तक नही सिलवा पाते। उनके ऊपर मकान किराए की डिग्री तक हो जाती है। तीसरा वर्ग शोषकों का है। इनका प्रतिनिधित्व राय साहब और खन्ना आदि करते हैं। इस शोषक वर्ग की करतूतों का 'गोदान' में भंडाफोड़ हुआ है। राय साहब सर्वाधिक शोषक हैं। वे ऊपर से मीठी बातें करते हैं. किन्तु यथार्थ में वे हिंसक पशु हैं। मेहता ने राय साहब की पोल खोलकर उनकी यथार्थ स्थिति पाठकों के सामने रख दी है." मानता हूँ आपका व्यवहार अपने आसमियों के साथ अत्यन्त नरम है पर यह तो इसलिए कि मद्धिम आग में भोजन और भी स्वादिष्ट पकता है।'

''गोदान' में प्रेमचन्द ने ऐसे ही शोषकों का भंडाफोड़ किया है। इसमें पूँजीवादी शोषण का यथार्थ चित्र सामने आता है।

दरिद्रता और भुखमरी का यथार्थ चित्र -- 'गोदान का कथानक स्पष्ट कहता है कि दरिद्रता और भुखमरी की समस्या आज भारतीय समाज को दीमक की तरह नष्ट कर रही है। कर्ज ने भारतीय कृषक जीवन को खोखला कर दिया। पूँजीपति मिल मालिक किसान की फसल कौड़ियों में खरीद लेते हैं और वह अल्प धन भी गाँव के साहूकारों के कारण गरीब किसान के हाथों में नहीं पहुंच पाता। आर्थिक तंगी और दरिद्रता के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। गोबर इस स्थिति से क्षुब्ध होकर ही शहर को पलायन करता है। धन का असमान वितरण भारतीय समाज के लिए अभिशाप हो रहा है। शोषण की चक्की में निरन्तर पिसते रहने के कारण ही होरी जिस समाज का प्रतिनिधित्व करता है, उसकी आयु आधी ही रह गयी है। होरी स्पष्ट कहता है कि उसकी साठे तक पहुँचने की नौबत नहीं आयेगी और होता भी ऐसा है - उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि 'गोदान' युग-जीवन का यथार्थ चित्र लेकर सामने आता है। प्रेमचन्द शोषण के अबाध चक्र को प्रस्तुत कर उसके प्रति जन-जीवन को सावधान करते हैं और अन्त में वर्ग-हीन समाजवादी समाज की स्थापना का सन्देश देते हुए शांति और सच्चे मुख के आने की मंगल सम्भावना व्यक्त करते हैं यही 'गोदान' में प्रेमचन्द का उददेश्य और उनका शाश्वत सन्देश है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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